मुरैना। बहुत पुरानी कहावत है, जब खुद गड्ढे में डूबे हो, तो दूसरो की नैया कैसे पार लगाओगी। यह कहावत बीएसपी प्रत्याशी पर सौ-आना सच साबित हो रही है। मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बीएसपी प्रत्याशी ने अपने चुनावी मेनोफेस्टो में चम्बल के बीहड़ में उद्योग स्थापित कर युवाओं को रोजगार देने का वायदा किया है। इसके अलावा मुरैना में आईटी हब, मेडिकल कॉलेज तथा कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीकी को बढ़ावा देने वाले संसाधन जुटाने जैसे मुद्दे भी शामिल किये है। इन्हीं मुद्दों को आगे रखकर बीएसपी प्रत्याशी वोट मांग रहे है। मुरैना की अधिकतर बैकों में डिफॉल्टर नंबर बन होने के बावजूद भी इतने बड़े-बड़े वायदे करना सिर्फ चुनावी शिगूफे के अलावा और कुछ नहीं लगता है। यह सच है या छलावा यह तो भगवान ही जाने। फिलहाल वे इसी मेनोफेस्टो के आधार पर अपना जनमत बढ़ाने में लगे हुए है।

जानकारी के अनुसार बीएसपी प्रत्याशी रमेश गर्ग ने नामांकन फार्म दाखिल करते समय अपनी चल-अचल संपत्ति का जो ब्यौरा दिया है, उसमे साढ़े तीन अरब बैकों का कर्जा होने का उल्लेख भी किया है। प्रत्याशी द्वारा दी गई जानकारी को सही माना जाए तो उनके सिर पर साढ़े तीन अरब का कर्जा है। मुरैना की अधिकतर बैंकों में डिफॉल्टर नंबर वन होने के बावजूद भी वे पहले ही दिन से मुरैना के विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन करने की बात कर रहे है। बीएसपी प्रत्याशी ने अपने चुनावी मेनोफेस्टो में चम्बल के बीहड़ में छोटे- छोटे उद्योग स्थापित कर नौजवानों के हाथों में रोजगार देने की बात को सबसे पहले स्थान पर रखा गया है। इसके अलावा मुरैना में आईटी हब, मेडिकल कॉलेज तथा कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक विकसित करने वाले संसाधन जुटाने की बात कही है। यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, बीएसपी प्रत्याशी यह बात छाती पीट-पीट कर बोल रहे है कि सरकार से सहायता लिए बिना ही वे अपने व्यापारी भाईयों की मदद से मुरैना के विकास के लिए इतने बड़े-बड़े काम करेंगे। यदि कुछ समय के लिए बीएसपी प्रत्याशी की इस बात को सही भी मान लिया जाए तो इतने बड़े कर्जदार होते हुए वे मुरैना का विकास कैसे करेंगे। बैको की मदद के बिना वे चम्बल के बीहड़ में किस तरह से उद्योग स्थापित करेंगे। अगर उद्योग स्थापित नहीं होंगे तो फिर युवाओं को रोजगार कैसे उपलब्ध करा पाएंगे। इन सब बातों पर गौर किया जाए तो बीएसपी प्रत्याशी का चुनावी मेनोफेस्टो वोटरों को लुभाने वाला सिर्फ चुनावी शिगूफा ही प्रतीत होता है। घोषणा पत्र के अनुसार चल-अचल संपत्ति से 25-30 गुना कर्जदार व्यक्ति लोगों का भला कैसे कर सकता है।

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